रांची की स्टेज-4 ब्रेस्ट कैंसर पीड़िता, वेंटिलेटर और मल्टीपल ऑर्गन डिसफ़ंक्शन से उबरकर दोबारा सामान्य जीवन की ओर लौटीं

एडवांस्ड कैंसर केयर में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए, भगवान महावीर मणिपाल अस्पताल, रांची ने 38 वर्षीय अल्पना पाठक को नई ज़िंदगी दी है। यह सफलता डॉ. सतीश शर्मा, कंसल्टेंट – मेडिकल ऑन्कोलॉजी, भगवान महावीर मणिपाल अस्पताल, रांची और उनकी टीम की देखरेख में संभव हुई। अल्पना पिछले सात वर्षों से स्टेज-4 मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर और मल्टीपल ऑर्गन इन्वॉल्वमेंट (जिसमें ब्रेन मेटास्टेसिस शामिल है – जब शरीर के किसी अन्य हिस्से से कैंसर कोशिकाएं मस्तिष्क में फैल जाती हैं) से जूझ रही थीं। उनकी कैंसर से जंग 2017 में ब्रेस्ट कार्सिनोमा के पहले निदान से शुरू हुई। इस दौरान उन्होंने कीमोथेरेपी, ब्रेस्ट सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, टारगेटेड थेरेपी और कई बड़ी इलाज की प्रक्रियाएं करवाईं, जिनमें ब्रेन एसबीआरटी (मस्तिष्क के लिए विशेष रेडिएशन) और फेफड़ों के ऑपरेशन शामिल हैं।
साल 2024 के अंत में उनकी स्थिति बेहद गंभीर हो गई । वह भगवान महावीर मणिपाल अस्पताल, रांची में नाज़ुक हालत में पहुंचीं, जहां जाँच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा। आगे की जाँच में पता चला कि उन्हें हार्ट फेल्योर, गंभीर फेफड़ों का संक्रमण, यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और रक्त संक्रमण है। भारत में उपलब्ध सभी उपचार विकल्प पहले ही आज़माए जा चुके थे। वह महीनों तक व्हीलचेयर पर रहीं, ऑक्सीजन पर निर्भर थीं और उनकी जीवन-रक्षा की संभावना बहुत कम थी। ब्लड एनजीएस टेस्ट के बाद, रिपोर्ट के आधार पर, डॉ. सतीश शर्मा और उनकी टीम ने एक साहसिक निर्णय लेते हुए जर्मनी से मंगाई गई अत्याधुनिक टारगेटेड थेरेपी का उपयोग किया, जिसे पूर्वी भारत में पहली बार इस्तेमाल किया गया । इस दवा ने उनकी स्थिति में चमत्कारिक सुधार लाया। महीनों के इलाज के बाद, डॉक्टर उन्हें ऑक्सीजन से मुक्त करने में सफल रहे और आगे के इलाज से उन्होंने दोबारा चलना शुरू किया और अपने दैनिक जीवन की गतिविधियां फिर से करने लगीं।
मामले की जानकारी देते हुए, डॉ. सतीश शर्मा, कंसल्टेंट – मेडिकल ऑन्कोलॉजी, ने कहा, “जब अल्पना हमारे पास आईं, उनकी स्थिति बेहद गंभीर थी। वह वेंटिलेटर पर थीं, कई अंगों में इन्फेक्शन था और देश में उपलब्ध हर मानक उपचार विकल्प समाप्त हो चुका था। ऐसे हालात में निर्णय लेना बेहद कठिन होता है, क्योंकि हर कदम रोगी के जीवन की दिशा बदल सकता है। हमने हर संभव विकल्प पर विचार किया और अंततः एक उन्नत अंतरराष्ट्रीय थेरेपी चुनी, जो उनकी ज़रूरत के लिए उपयुक्त साबित हुई। इसके बाद जो हुआ, वह किसी चमत्कार से कम नहीं था – वह धीरे-धीरे वेंटिलेटर से उतरीं, अपनी ताकत वापस पाई और सामान्य जीवन में लौट आईं। उनकी यह यात्रा नए उपचार, टीमवर्क और मज़बूत हिम्मत का सशक्त उदाहरण है।”
अपने अनुभव के बारे में बताते हुए, अल्पना पाठक ने कहा, “पिछले आठ साल मेरे जीवन की सबसे कठिन लड़ाई रहे हैं – कैंसर से एक नहीं, बल्कि तीन बार लड़ाई। मैंने सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन, टारगेटेड थेरेपी, यहां तक कि कोमा तक का सामना किया। कई बार ऐसे दिन भी आए जब मैं चल नहीं पाती थी, हर सांस लेना मुश्किल हो जाता था, लेकिन भगवान महावीर मणिपाल अस्पताल के डॉ. सतीश शर्मा और उनकी टीम ने मेरा हाथ कभी नहीं छोड़ा। आज मैं चल सकती हूं, गाड़ी चला सकती हूं, अपने बच्चों को स्कूल छोड़ सकती हूं और अपने सारे दैनिक काम कर सकती हूं – वो सब कुछ जो मैंने कभी सोचा था कि अब नहीं कर पाऊंगी। यह सिर्फ मेरा स्वस्थ होना नहीं है, यह मेरा पुनर्जन्म है, और इसके लिए मैं हमेशा आभारी रहूंगी।”